भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा मोटर वाहन उत्पादक राज्य है. वित वर्ष 2016-17 में यहाँ पर 25.3 मिलियन मोटर वाहनों का उत्पादन हुआ था. इसी वर्ष यहाँ पर औसतन लगभग 76200 वाहन प्रतिदिन के हिसाब से बेचे गए थे. अब जब इतनी बड़ी मात्र में वहां बेचे जायेंगे तो यह सवाल भी उठेगा कि आखिर इन वाहनों को नंबर कैसे दिए जाते हैं. इस लेख में आप यह जानेंगे कि कैसे एक वाहन में लिखे गए नंबर की मदद से आप उस वाहन के मालिक और वह वाहन किस राज्य का है इसका पता लगायें.
वाहन की नंबर प्लेट से सम्बंधित सामान्य नियम
वाहन रजिस्ट्रेशन नम्बर को हम लाइसेंस प्लेट या नंबर प्लेट के नाम से भी जानते है. रजिस्ट्रेशन नम्बर को आरटीओ (The Regional Transport Office) अर्थात क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा जारी किया जाता है, जिसको सड़क मामलों का मुख्य अधिकार होता है.
नियमानुसार साधारण नंबर प्लेट को बनाने के लिए प्लेट का रंग सफ़ेद और उसके ऊपर काली स्याही से नंबरों को अंग्रेजी के अक्षरों में लिखा जाना चाहिए किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा में नही. इसके साथ ही नम्बर प्लेट को वाहन के आगे और पीछे दोनों तरफ लगाना जरूरी होता है.
बड़े वाहनों के लिए यह भी जरूरी होता है कि उनकी नंबर प्लेट के ऊपर रात के समय लाइट जलती रहनी चाहिए. वाहन की नम्बर प्लेट के क्या क्या पता चल सकता है?
भारत में नई नंबर प्रणाली जो वर्तमान में सभी राज्यों और शहरों में चल रही है, 1990 के दशक के शुरू में लागू हुई थी. वर्तमान प्रारूप में नम्बर प्लेट में लिखे अक्षरों को चार भागों में बांटा गया है; इसको एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं:
मान लो किसी गाड़ी का नंबर: MH 04 DV 0162
“MH” उस राज्य को इंगित करता है जहां गाड़ी का रजिस्ट्रेशन हुआ है. यहां MH का अर्थ महाराष्ट्र है.
“04” उस जिले के रजिस्ट्रेशन ऑफिस को इंगित करता है जहां गाड़ी का रजिस्ट्रेशन हुआ है. यहां 04 का अर्थ ठाणे जिला है.
“DV” उस रजिस्टर का शीर्षक है जिसमें इस नंबर को अंकित किया गया है. कम्प्यूटरीकरण से पहले गाड़ियों की संख्या का रिकॉर्ड हाथों से लिखकर रखा जाता था, तथा रजिस्टर का शीर्षक A, B, C से लेकर Z तक तथा AA से लेकर ZZ तक लिखा जाता था.
“0162” का अर्थ यह है कि DV शीर्षक वाले रजिस्टर में इस गाड़ी की एंट्री 162वें नंबर पर की गई है.
रजिस्ट्रेशन नम्बर के माध्यम से गाड़ी के मालिक का पता कैसे करें
वाहन का रजिस्ट्रेशन राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर होता है. आरटीओ दोनों के बीच डाटा का आदान प्रदान करता है. VIN अर्थात वाहन पहचान संख्या के आधार पर भारत में सभी निजी और व्यापारिक वाहनों के नम्बर प्लेट को इस तरह से विभाजित किया गया है कि इसके नम्बर से ही गाड़ी के मालिक का भी पता चल जायेगा. रजिस्ट्रेशन नम्बर का अगर शुरूआती नम्बर भी याद हो तो किसी भी जरुरत जैसे गाड़ी चोरी हो जाए या गाड़ी से कोई दुर्घटना हो जाए, तो उस नम्बर के द्वारा गाड़ी के मालिक को खोजा जा सकता है.
भारत सरकार के द्वारा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से parivahan.gov.in ये वेवसाइट बनाई गयी है. इसके माध्यम से सारी जानकारी आपको ऑनलाइन प्राप्त हो सकती है. आप गाड़ी ढूँढने के लिए गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर इस साईट पर डाल दें और एंटर करते ही आपके पास इस वाहन से सम्बंधित जानकारी आपके सामने होगी.
नोट: इस साईट के माध्यम से जानकारी जुटाने के लिए आपका मोबाइल नंबर RTO कार्यालय या गाड़ी लेने के समय रजिस्टर्ड होना चाहिए; क्योंकि parivahan.gov.in की तरफ से आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक OTP भेजा जायेगा
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